अक्षय कुमार और रजनीकांत की 2.0 रिलीज़ हो चुका है और अब धीरे धीरे फैन्स का वो तबका निकल कर आ रहा है जिसने फिल्म देखी और जिसे फिल्म पसंद नहींं आई। और दर्शकों का ये हुजूम ट्विटर पर अक्षय कुमार और डायरेक्टर शंकर की धज्जियांं उड़ा रहा है। पहली बात तो फिल्म देखने वालों ने साफ किया कि फिल्म में अक्षय कुमार ज़्यादा हैं ही नहीं।
दूसरी बात, फिल्म के लिए इतना हौव्वा और माहौल बनाने के लिए दर्शकों ने डायरेक्टर शंकर को भी जमकर कोसा है। उनका मानना है कि जब आप इतने बड़े बजट की फिल्म बनाते हो तो आपकी ज़िम्मेदारी होती है उन पैसों को बेकार ना जाने देना लेकिन शंकर ने 543 करोड़ पानी में बहा दिया है।
फिल्म देखने वालों ने साफ साफ कहा कि फिल्म में तकनीक छोड़कर और कुछ नहीं है। अगर शंकर को इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाना था तो उन्हें फिल्म के हर पहलू पर ध्यान रखना चाहिए था। डायरेक्टर होने के नाते उनकी ज़िम्मेदारी बनती है कि फिल्म की कहानी पर भी उतना ही ध्यान दें। कुछ दर्शकों का ये भी कहना है कि उन्हेंं इस फिल्म से बेहतर, एंथीरान लगी थी। दर्शकों ने अक्षय कुमार के किरदार को लेकर भी काफी प्रश्न उठाए - @ravipatel89: तकनीक का पूरी तरह से बेकार इस्तेमाल और ज़बरदस्ती VFX के नाम पर माहौल बनाया गया है। इतने बड़े बजट पर आराम से 6 अच्छी फिल्में बना देते। और उनमें बेहतर ग्राफिक्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता था। मुझे अक्षय कुमार की इस फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं। बड़ी निराशा हाथ लगी। @krkboxoffice: आधा घंटा बीत चुका है और क्या बेवकूफी भरी फिल्म है अभी तक की। डायरेक्टर शंकर ने एक आदमी को बेवकूफ बनाकर उससे 600 करोड़ निकलवा लिए। विश्वास ही नहीं होता। @mayurkhadse: क्या बकवास है। अक्षय सर की तो एंट्री ही इंटरवल से थोड़ी देर पहले हुई है। @PradeepDC: 2.0 फिल्म को और लंबा होना चाहिए था और अपने मुख्य प्लॉट को अच्छी तरह से बयान करना चाहिए था जिससे कि वो हर किसी के अंदर असर पैदा कर पाता। आम आदमियों रिएक्शन फोन छिन जाने पर इतना मामूली और नकली था कि पूछिए मत। @weirdlyprobable: इससे अच्छा था कि अक्षय कुमार अपने पैड वाले एड की तरह, मोबाईल हटाओ, पंछी बचाओ का एड बना लेते। 30 सेकंड में काम हो जाता। और इस एड को हर फिल्म में दो बार दिखाया जाता। वो भी इस फिल्म से ज़्यादा मनोरंजन करता। और पैसे का सही इस्तेमाल हो जाता। @imtnvr_: अक्षय कुमार के आते ही पिक्चर में इंटरवल हो गया। मतलब फर्स्ट हाफ में उनका कोई रोल ही नहीं है। और उन्हें 2.0 का क्रेडिट चाहिए। 2.0 केवल रजनीकांत और शंकर की फिल्म है। अक्षय कुमार का तो कैमियो है। @pampachakreal: ये VFX फिल्म नहीं है, ये एक एनिमेशन फिल्म है। भारत का स्तर ही इतना है इसलिए इसे वीएफएक्स वाली फिल्म कह रहे हैं। किसी का मरना और पैदा होना जैसी चीज़ों को इस्तेमाल कर लोगो को इमोशनल करने की कोशिश की गई है। लेकिन फिल्म के साथ न्याय नहीं होता। शंकर बस एक महंगे डायरेक्टर हैं। फिल्म ज़्यादा से ज़्यादा एवरेज कही जा सकती है। @nabarune: 2.0 एक मज़ाकिया फिल्म है। इसे केवल बच्चे देख सकते हैं और इंजॉय भी कर सकते हैं। @amaraldrin1: 2.0 का रिव्यू देखकर ऐसा लग रहा है कि मैं ही इकलौता हूं जिसे फिल्म पसंद नहीं आई है। तकनीकी रूप से फिल्म शानदार है लेकिन इसे अपनी कहानी को बेहतर बनाना चाहिए था। एंथीरान अभी भी मेरी फेवरिट फिल्म है। @sathyajitpinku: 3D और ग्राफिक्स तो ठीक है लेकिन ये बस एक ठीकठाक फिल्म है। अक्षय कुमार तो फिल्म में बहुत कम दिखाई दिए हैं। @weirdlyprobable: विश्वास नहीं होता कि शंकर ने इतना सारा पैसा तकनीक पर बहा दिया और कहानी पर कोई काम ही नहीं किया। फिल्म जहां शुरू हुई वहीं खत्म हो गई। अब कम से कम इस बोरिंग फिल्म के आगे मुझे रोबोट मनोरंजक लग रही है।