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एरर 404 एंड 586 सोनाली केबल- फिल्म रिव्यू
निर्माता- रमेश सिप्पी एंटरटेनमेंट
निर्देशक- चारुदत्त आचार्या
कलाकार- रिहा चक्रवर्ती, अली फजल, स्मिता जयकर, अनुपम खेर
वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि समंदर में बड़ी मछलियां अक्सर छोटी मछलियों को निगल जाती हैं। कुछ इसी विषय पर आधारित हैं रिहा चक्रवर्ती और अली फजल की फिल्म सोनाली केबिल। सोनाली केबिल फिल्म में निर्देशक ने ये दिखाने की कोशिश की है कि किस तरह से महानगरों में छोटे छोटे व्यवसायों को बड़े व्यवसायी निगलने की कोशिश करते हैं।
सोनाली केबिल की कहानी सोनाली (रिहा चक्रवर्ती) के इर्द गिर्द घूमती है। सोनाली और उसके कुछ दोस्त मिलकर मुंबई शहर के एक छोटे से हिस्से में केबिल नेटवर्किंग का व्यवसाय करते हैं। इस व्यवसाय में उनका सपोर्ट करती है विधायक मीना ताई (स्मिता जयकर) और उनका बेटा रघु। रघु और सोनाली बचपन के दोस्त हैं और एक दूसरे से प्यार करते हैं।
फिल्म की कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब वाघेला (अनुपम खेर) जो कि एक बहुत बड़े कंपनी के मालिक हैं मुंबई के छोटे छोटे केबिल व्यवसायों को खरीदना शुरु करते हैं और उनकी नज़र पड़ती है सोनाली केबिल पर। सोनाली हार नहीं मानती और रघु के साथ मिलकर वाघेला से टक्कर लेती है।