कल्कि कोचलीन बॉलिवुड की एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्हें कभी भी कमर्शियल फिल्मों या किसी सुपर स्टार की फिल्मों में काम करने का शौक नहीं रहा। उन्होंने अपने करियर में ऐसी ऐसी फिल्मों को हां कहा जिन्हें बॉक्स ऑफिस पर भले ही सफलता ना मिली हो लेकिन फिल्म में उनके अभिनय को जरुर शिखर पर आंका गया।
फिल्म मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ में भी कल्कि कोचलीन ने एक ऐसा ही किरदार निभाया है लैला का, जो कि शारीरिक रुप से असहाय है लेकिन दिमागी तौर पर वो काफी इंटैलिजेंट और बहुत ही खास है। लेकिन अपनी शारीरिक कमियों के चलते उसे आम इंसानों की दुनिया में विकलांग के रुप में आंका जाता है।
एक लड़की होने के नाते, अपनी शारीरिक जरुरतों को पूरा करने के लिए वो कभी खुद ही अपनी इच्छा तृप्ति की कोशिश करती है तो कभी किसी लड़के के साथ होने की कोशिश करती है और कभी लेस्बियन बन जाती है।
लेकिन अंत में उसे आखिर कहां पर संतुष्टि मिलती है और कहां पर आकर उसकी ये प्यार की तलाश पूरी होती है ये है लैला का पूरा सफर जिसे देखने आपको जल्द से जल्द नजदीकी सिनेमाहॉल में जाना चाहिए।
कहानी
लैला एक शारीरिक रुप से असहाय लड़की है जो कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती है। वो दिमाग से बहुत तेज है और साथ ही संगीत में उसकी बहुत रुचि है। उसे एक लड़के से प्यार होताहै लेकिन उसकी कमियों के चलते उसे ये एहसास होता है कि कोई आम लड़का उससे प्यार नहीं करेगा। वो लंदन जाती है और वहां पर एक अंधी लड़की मिलती है जो कि लेस्बियन होती है और उसे लैला से प्यार हो जाता। लेकिन उसके बाद उनकी जिदंगी में क्या होता है ये बहुत ही इंटरेस्टिंग है।
अभिनय
लैला के किरदार में कल्कि कोचलीन परफेक्ट हैं। उनके अलावा शायद और कोई इस किरदार के साथ न्याय भी ना कर पाता। कल्कि ने इससे पहले गर्ल विद येलो बूट्स, शंघाई जैसी फिल्मों में भी अपनी अभिनय प्रतिभा को साबित किया है। लेकिन ये कहना गलत ना होगा कि मार्गरिटा विद स्ट्रॉ ने कल्कि को बॉलिवुड की बेस्ट एक्ट्रेस साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
संगीत
मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ वैसे तो एक ऐसी फिल्म है जिसमें शायद संगीत का उतना ज्यादा स्कोप नहीं था, लेकिन इसके बावजूद प्रसून जोशी द्वारा लिखे गये फोरेन बलमा, छून चली आसमां आदि गानों ने फिल्म में एक अलग ही माहौल जमा दिया।
निर्देशन
शोनाली बोस ने मार्गरिटा विद स्ट्रॉ फिल्म के हर एक सीन में एक एहसास, प्यार डालने की कोशिश की है। यूं लग रहा था कि जैसे निर्देशक ने लैला के हर एक एहसास उसकी हर एक अनकही बात को खुद महसूस किया हो और उसके बाद फिल्म शूट की हो। हालांकि फिल्म के कुछ हिस्से थोड़े से ऐसे हैं जिन्हें समझने में दर्शकों को मुश्किल हो सकती है शुरुआत में सीन्स के बीच का तालमेल थोड़ा कंफ्यूज कर गया। लेकिन कुल मिलाकर फिल्म बेहतरीन है।
देखें या नहीं
हमारी तरफ से मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ को 4.5 स्टार्स। फिल्म देखने योग्य है। कुछ समय पहले आई फिल्म क्वीन ने दर्शकों को जितना खुद से रिलेट किया था शायद मार्गिरिटा ना कर सके लेकिन दोनों फिल्मों की लीड किरदार फीमेल है और दोनों ही फीमेल किरदार अपनी अहमियत पहचानने के बाद खुद के लिए जो फैसला लेती है वो दर्शकों के दिलों को छू जाएगा।