रणदीप हुडा स्टारर मैं और चार्ल्स रिलीज़ हो चुकी है और फिल्म के पहले शो के बाद ये रहा फिल्मीबीट का रिव्यू। जिसे पढ़कर तय करें कि देखें या नहीं मैं और चार्ल्स! फिल्म के निर्देशक हैं प्रवाल रमन जिन्होंने पूरी कोशिश की है कि चार्ल्स शोभराज से भारत की जनता को रूबरू कराया जाए लेकिन शायद यही उनकी गलती है।
मैं और चार्ल्स एक धीमी फिल्म है। ये कहना मुश्किल है कि फिल्म में कमी क्या है और यही फिल्म की सबसे बड़ी कमी है। फिल्म में रिसर्च का कोई स्कोप नहीं था। चार्ल्स शोभराज के बारे में ज़्यादा लिखा नहीं गया।
इसलिए उस आदमी पर केंद्रित होने की बजाय जिसने 20 से ज़्यादा खून किए और कानून के हाथ से निकल गया...फिल्म उस चार्ल्स शोभराज पर ज़्यादा फोकस करती है जिसके चार्म से औरतें कभी बच नहीं पाती थीं। जानिए कैसी है फिल्म की कहानी, किरदार, निर्देशन, संगीत और क्या है कमियां -
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
कहानी
फिल्म कहानी है एक बहरूपिया - चार्ल्स शोभराज (रणदीप हुडा) और एक पुलिस ऑफिसर अमोद कांत (आदिल हुसैन) की। कैसे 20 खून करने के बावजूद ये आदमी हर बार पुलिस के हाथ नहीं आता और जब आता है तो जेल की एक एक सिक्यूरिटी को झांसा देकर भागता है, यही फिल्म का प्लॉट है। वहीं फिल्म का सब प्लॉट है वो चार्ल्स शोभराज जिसकी औरतें दीवानी हैं और उसका जादू उनके सर चढ़कर बोलता है।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
निर्देशन
प्रवाल रमन की कमी ये है कि फिल्म पर उतनी रिसर्च नहीं की गई जितनी होनी चाहिए थी। फिल्म बेहतरीन अंदाज़ में शुरू होती है और खत्म भी लेकिन फिल्म का ग्राफ स्टेडी है। यही कहीं भी बढ़ता नहीं। जबकि चार्ल्स शोभराज जैसा चरित्र ऐसा होना चाहिए था जिसकी परतें हर सीन के साथ खुलें।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
अभिनय
रणदीप हुडा ने किरदार के लिए पूरी तैयारी की थी और ये फिल्म में दिखा है। उन्होंने शोभराज को पूरी तरह खुद में उतारा है। हालांकि उनका फ्रेंच अंदाज़ में हिंदी बोलना थोड़ा परेशान कर सकता है लेकिन इसके अलावा वो परफेक्ट हैं। शोभराज को ज़्यादा लोग अगर करीब से नहीं जानते तो ये विश्वास दिलाना और आसान हो जाता है कि वो ऐसा ही था।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
पटकथा
फिल्म का स्क्रीनप्ले कसा हुआ नहीं है। कहानी धीमी है लेकिन उसमें तेज़ी पकड़ने के लिए जो चीज़ें होनी चाहिए वो गायब है। फिल्म कई जगह कन्फ्यूज करती है। हालांकि, सेकंड हाफ में धीरे-धीरे राज खुलते हैं।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
डायलॉग्स
ऐसी डॉक्यू ड्रामा और थ्रिलर सस्पेंस की सबसे बड़ी खासियत होती है डायलॉग्स। क्योंकि पंच ही दर्शक को उस किरदार से जोड़ देते हैं लेकिन वही इस फिल्म में गायब है और ये फिल्म की सबसे बड़ी कमी है।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
कलाकार
फिल्म के सभी कलाकार अपने किरदार के साथ न्याय कर रहे हैं। आदिल हुसैन, रिचा चड्ढा ने कमाल का अभिनय किया है। वहीं मंदाना करीमी ने भी कुछ हद तक सफल हुई हैं।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
कॉस्ट्यूम - मेकअप
फिल्म एक निश्चित पीरियड को बेहतरीन ढंग से दिखाती है। रणदीप हुडा और रिचा चड्डा का अवतार आपको 80 के दशक की याद दिलाता है और इस मामले में फिल्म उम्मीदों पर खरी उतरती है।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
संगीत
फिल्म के गाने अच्छे हैं लेकिन बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है। यूं कहिए कि फिल्म की धीमी गति को अगर कुछ बचाता है तो वो ये बैकग्राउंड स्कोर है। वहीं पुराने गाने का रीमेक भी अच्छा है। फिल्म में 80 के दशक के संगीत की झलक मिलेगी।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
क्यों देखें
कोई भी फिल्म इतनी खराब नहीं होती कि देखी ना जाए और इस फिल्म में रणदीप हुडा - आदिल हुसैन कमाल करते हैं। कहानी अच्छी है और आपको दिलचस्प लगेगी...अगर थोड़ा धैर्य रखा जाए तो!
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
क्यों नहीं देखें
फिल्म का प्लॉट बेहतरीन है फिर भी ये आपको बांध कर नहीं रखती और कहीं कहीं आप बोर हो जाएंगे। वहीं फिल्म से जो उम्मीदें थीं उन पर फिल्म खरी नहीं उतरती। अगर आपको लगता है कि फिल्म देखकर आप चार्ल्स शोभराज के बारे में जान पाएंगे तो ऐसा नहीं है।
मैं और चार्ल्स - फिल्म रिव्यू
VERDICT
हमारी तरफ से रणदीप को 4.5 स्टार एक ऐसे किरदार के लिए जो बिल्कुल झूठा हो सकता था। फिल्म को 2.5 स्टार !