"हमारे देश में रिश्वत नारियल जैसा हो गया है, हर काम से पहले चढ़ाना ही पड़ता है।" कुछ यही मुद्दा है अक्षय कुमार की फिल्म गब्बर इज बैक फिल्म का। इसी मुद्दे के इर्द गिर्द घूमती गब्बर इज बैक देश के युवाओं के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती रखती है जो है देश में लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकने का।
2001 में रिलीज हुई अनिल कपूर की नायक में एक आम आदमी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक दिन का पीएम बनता है और कानूनी तरीके से भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश करता है और 13 साल बाद गैरकानूनी तरीके से एक आम आदमी तेजी से बढ़ चुके भ्रष्टाचार को रोकने के लिए गैरकानूनी तरीका अपनाता है व हर एक सेक्टर के टॉप भ्रष्ट शख्स को दुनिया से ही खत्म कर देता है।
कुल मिलाकर ये 2001 का नायक 13 साल बाद खलनायक बनकर वापस आया है उसी जंग को जीतने के लिए लेकिन एक नयी सोच के साथ। हालांकि ये अभी भी नायक ही है लेकिन इसकी सोच जरुर थोड़ी खलनायाक की तरह है।
आइये डालते हैं एक नज़र गब्बर इज बैक रिव्यू पर।
कहानी
गब्बर इज बैक कहानी है आदित्य (अक्षय कुमार) की जो कि भ्रष्टाचार के चंगुल में फंसकर अपनी पत्नी और बच्चे को खो बैठता है। वो अपनी एक टीम बनाता है और शुरु करता है भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी एक जंग।
अभिनय
अभिनय की बात करें तो अक्षय कुमार ने अपना किरादर पूरी ईमानदारी और खूबसूरती के साथ निभाया है। अक्षय कुमार के अलावा सुमन तलवार जिन्होंन फिल्म में विलेन का किरदार निभाया है, दर्शकों को काफी इंप्रेस करने वाले हैं। श्रुति हासन का फिल्म में कुछ खास काम नहीं है और उन्हें अगर आई कैंडी कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
संगीत
vगानों की बात करें तो तेरी मेरी कहानी जो कि करीना कपूर पर शूट किया गया है दर्शकों की जुबां पर काफी चढ़ रहा है। इसके अलावा चित्रांगदा पर शूट किया गया गाना कुंडी मत खड़काना राजा भी एक एंटरटेनिंग गाना है। संगीत में कुछ खास एक्सपेरिमें नहीं किया गया है और कुछ गाने बिना वजह डाले गये प्रतीत होते हैं।
निर्देशन
निर्देशन के मामले में फिल्म कहीं कहीं पर पीछे छूट जाती है। निर्देशक कृष ने पूरी कोशिश की लेकिन इसके बावजूद इस मुद्दे परदे पर उतारने में काफी जगह पर फिल्म नाकाम होती है। फिल्म की शुरुआत में सीन्स एक दूसरे से जुड़े हुए प्रतीत नहीं होते। साथ ही एक अहम मुद्दे पर आधारित होने के बावजूद फिल्म काफी स्लो प्रतीत होती है।
देखें या नहीं
अक्षय कुमार के फैंस के लिए यकीनन गब्बर इज बैक एक एंटरटेनिंग फिल्म है। इसके अलावा इतने गंभीर मुद्दे पर आधारित होने के बावजूद फिल्म में वो फील नहीं हो जो कि असल में होना चाहिए था। कुल मिलाकर एक बार फिल्म देखने लायक है।