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    फिल्म समीक्षा- क्षीर्ण मानसिकता को बदलती बैंगिस्‍तान

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    [सोनिका मिश्रा] रितेश देशमुख और पुलकित सम्राट की बैंगिस्तान हिंदू और मुस्लिम दोनों मजहबों के आधार पर बनी फिल्म है। जिसकी शुरुआत तो होती है नफरत, जिहाद से लेकिन अत तक जाते जाते ये नफरत दोस्ती में तब्दील हो जाती है।

    कहानी- फिल्म की शुरुआत में शंकर आचार्य पंडित जी और इमाम मौलवी साहब दोनों मज़हबों के बीच शांति सुकून स्थापित करना चाहते हैं। दोनों मिलकर पोलेंड में एक धार्मों का मिलन कॉंफ्रेंस रखते हैं।

    वहीं फाजिल बिन अली (रितेश देशमुख) एक एमएनसी में जॉब करता है। मुस्लिम होने की वजह से उसे हमेशा आतंकी समझा जाता है। वो फैसला करता है इस बेइज़्ज़ती से छुटकारा पा के रहेगा। वो एक मैलवी साहब से मिलता है और उसके बाद हिंदुओं से बदला लेने के लिए पोलैंड में होने जा रहे इस कॉंफ्रेंस में बम ब्लास्ट करने की तैयारी करता है।

    प्रवीण कुमार चतुर्वेदी (पुलकित सम्राट) एक हिन्दू दाल माँ का दल के गुरु को मानता है। उनके कहने पर हिन्दुओं के लिए मुस्लिमों से बदला लेने निकलता है। दुश्मन से बदला लेने के लिए वह दुश्मन यानी कि मुस्लिम का भेस धर लेता है। इ

    दोनों पोलैंड पहुचते हैं जहा इंटरनॅशनल पीस मीट होने वाली है। ताकि वहां मौका पाकर बम ब्लास्ट कर सके।

    इसी बीच कुछ ऐसा होता है कि प्रवीण की पूरी चाल पलट जाती है। दोनों का आमना-सामना होता है एक बेहतरीन अंदाज में। फिल्म की कहानी अच्छी है, लेकिन कुछ जगहों पर बोर करने वाली थी।

    English summary
    Read Bangistan Movie Review in Hindi. Film Review of Ritesh Deshmukh and Pulkit Samrat movie Banmgistan. Film Samiksha Bangistan.
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