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10 कारण जो बना गए हैदर को 'पीपल्स चॉइस'
मुंबई। शाहिद कपूर हैदर की सफलता का स्वाद चख रहे हैं और उनकी नई अचीवमेंट है रोम में हैदर को पीपल्स चॉइस मिलना। विशाल भारद्वाज ने फिल्म में सस्पेंस का भरपूर डोज़ डाला था। उनकी मेहनत असर भी कर गई है। भारत में भी अवॉर्ड शो में इस बार हैदर की धूम रहने वाली है। जानिये वो 10 कारण जो हैदर को बना गया पीपल्स चॉइस -
बॉल्ड
लुक
शाहिद
हमेशा
से
चॉकलेटी
हूीरो
रहे
हैं।
उन्होंने
शाहरूख
को
कॉपी
करने
की
बेइंतहा
कोशिश
की
है।
इस
कोशिश
में
कभी
वो
पास
हुए
कभी
फेल।
कभी
दर्शकों
ने
उन्हें
नकार
दिया
तो
कभी
वो
हिट
रहे।
हैदर
शाहिद
का
खुद
के
साथ
सबसे
बोल्ड
एक्सपेरिमेंट।
और
कहने
की
ज़रूरत
नहीं
बिना
बाल
वाले
शाहिद
लोगों
को
खूब
पसंद
आए।
पागलपन
हैदर
में
अजीब
किस्म
का
झक्कीपन
है
जो
दर्शकों
को
डराता
है
और
बांधता
भी
है।
कभी
भी
कुछ
भी
बोलना,
पल
भर
में
बेतहाशा
गुस्सा
और
अगले
ही
पल
गुनगुनाता
हुआ
हैदर।
ये
मूड
स्विंग
लोगों
को
पसंद
आ
गया।
पागल
हैदर
का
जंगलीपन।
ग़ज़ाला
से
नज़दीकी
हैदर
की
पूरी
कहानी
में
कहीं
भी
तब्बू
और
हैदर
की
नज़दीकियों
पर
कोई
खुलासा
नहीं
हुआ।
मां
के
लिए
पागलों
की
तरह
चाहत
पर
उसकी
नज़दीकी
किसी
और
से
बर्दाश्त
न
कर
पाना।
विशाल
भारद्वाज
अंत
तक
इस
सस्पेंस
को
बनाने
में
कामयाब
रहे।
मैं
रहूं
कि
मैं
नहीं
हैदर
का
एक
एक
डायलॉग
उम्दा
है।
जान
लूं
कि
जान
दूं,
मैं
रहं
कि
मैं
नहीं।
हैलो....हैलो...हैलो...क्या
आप
मुझे
सुन
सकते
हैं।
हैदर
की
नफरत
को
शाहिद
ने
अपने
एक
एक
डायलॉग
में
बखूबी
उतारा
है।
कश्मीर
की
वादियां
कश्मीर
की
सुंदर
वादियां
दर्शकों
को
खींचती
हैं।
डार्क
फिल्म
होने
के
बावजूद
एक
एक
दृश्य
में
कश्मीर
की
सुंदरता
नक्काशी
की
तरह
पिरोई
गई
है।
ऐसे
में
दर्शकों
को
सुंदर
वादियों
भारी
माहौल
में
थोड़ा
सुकून
देती
है।
सस्पेंस
का
डोज़
हैदर
की
हर
हरकत
अचंभित
करती
है।
वो
कब
प्यारा
है
और
कब
जानवर
यह
कहना
मुश्किल
है।
उसे
ज़िंदगी
से
क्या
चाहिए
इस
जद्दोजहद
से
वो
हर
पल
जूझता
है
और
दर्शकों
को
भी
जूझने
पर
मजबूर
करता
है।
नफरत
से
होता
है
प्यार
हैदर
की
नफरत
से
लोगों
को
प्यार
है।
किसी
को
उससे
कोई
शिकायत
नहीं
है।
बल्कि
हैदर
की
नाकामियों
और
उसकी
इमोशनल
ज़रूरतों
से
लोग
जुड़ते
हैं।
उनमें
गुस्सा
नहीं
बेचारगी
है
हैदर
की
हालत
पर।
तब्बू
की
वापसी
हैदर
से
तब्बू
ने
शानदार
वापसी
की
है
और
वो
अपने
कैरेक्टर
से
जादू
चलाती
हैं।
मर्दों
के
साथ
फिल्म
में
उनकी
करीबी
को
कहीं
भी
उनके
चरित्र
से
नहीं
जोड़ा
गया
और
यही
सस्पेंस
दर्शकों
को
फिल्म
से
और
ग़ज़ाला
से
जोड़ता
है।
शाहिद
का
डांस
शाहिद
का
बुलबुल
डांस
डराता
है,
दहशत
पैदा
करता
है
और
कहानी
को
सबसे
ऊपर
लेकर
जाता
है।
क्लाईमेक्स
नहीं
होने
के
बावजूद
यह
डांस
सारा
ड्रामा
रचता
है।
लोग
जानना
चाहते
हैं
कि
जो
सोचा
क्या
वो
हुआ।
एक
नहीं
दो
दो
सलमान
हैदर
में
एक
नहीं
दो
दो
सलमान
खान
हैं।
और
फिल्म
में
मनोरंजन
का
यह
हल्का
पुट
कमाल
का
काम
करता
है।
इसके
साथ
ही
बड़ूी
मासूमियत
के
साथ
निर्देशक
आसानी
से
यह
बात
कह
जाते
हैं
कि
सलमान
वाकई
सुपरस्टार
हैं।
उनके
लिए
लोगों
की
दीवानगी
देखकर
तो
यही
लगता
है।