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    78 के गुलजार साहब आज भी जिगर से ही बीड़ी जलाते हैं...

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    विशाल भारद्वाज की क्लासिक फिल्म में से एक है फिल्म ओमकारा.. जिस समय यह फिल्म रिलीज हुई थी उस समय फिल्म का एक हॉट आयटम नंबर ने हर किसी का दिल जीत लिया था..उस हॉट सांग के हॉट बोल थे...बीड़ी जलइले जिगर से पिया...तब किसी ने नहीं सोचा था कि इस मादक गीत की रचना मशहूर गीतकार, शायर गुलजार साहब के कलम से हुई है।

    78 के गुलजार साहब आज भी जिगर से ही बीड़ी जलाते हैं...

    वो ही गुलजार साहब जिन्होंने आज 78 साल आंकड़ा पार कर लिया है लेकिन उनकी शख्सियत पर उम्र का पहरा नहीं और ना ही मिजाज में कोई ठहराव है तभी तो वह आज भी अपने दिल की हर एक खता को यह कहकर माफ कर देते हैं कि दिल का मिजाज तो इश्कियां।

    दिल का मिजाज तो इश्कियां

    वक्त बीता और लोगों की पसंद बदली लेकिन इस बदलते परिवेश में गुलजार ने अपनी सोच को लोगों के मिजाज के हिसाब से ढाल लिया जिसका नतीजा यह है कि आज हर कोई गीतकार गुलजार का नाम लेते वक्त साहब लगाना नहीं भूलता। भले ही उम्र का नंबर उनकी चढ़ती उम्र को बयां करता हो लेकिन उनका दिल आज भी इश्क के मामले में केवल बच्चा ही है।

    राखी के लिए गुलजार का ..दिल आज भी बच्चा ही है...

    गुलजार साहब का पूरा नाम सम्‍पूरन सिंह कालरा है, इनका जन्‍म 18 अगस्‍त 1936 को दीना नाम की उस जगह में हुआ जो कि आजकल पाकिस्‍तान में है। कौन जानता था कि ये शख्‍स गुलज़ार नाम से सबके दिलों में अपना घर बना लेगा। कभी कतरा-कतरा जीने वाले गुलजार साहब इश्क को कमीना बताते हैं.. कभी कहते हैं कि इश्क तो जीना मुश्किल कर देता है। आखिर कौन हैं ये गुलज़ार इनके कितने रूप हैं। कभी ये शायर हैं तो कभी निर्देशक तो कभी बच्चों के साथ बच्चे बन कर तारों की बातें करते हैं तो कभी ज़िंदगी के फलसफे को समझाते हैं।

    आईये डालते हैं गुलजार साहब के व्यक्तित्व पर एक नजर...

    English summary
    Gulzar, one of the most celebrated and respected lyricist-directors in the film industry, turned 78 Today.
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