twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts
    BBC Hindi

    बॉलीवुड में लड़कियां: ये दिल मांगे मोर!

    महिला प्रधान फ़िल्मों की सफलता से अभिनेत्रियों की दावेदारी मजबूत हुई है।

    By सुनीता पांडेय - मुंबई से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
    |

    अमूमन फ़िल्मों में महिला क़िरदारों की स्थिति कहानी की शुरुआत और क्लाइमेक्स के बीच कुछ मनोरंजक पल जोड़ने भर की रहती आई है.

    पिछले पांच दशकों से हिंदी सिनेमा कमोबेश इसी ढर्रे पर आगे बढ़ता रहा है. लेकिन हालात में जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है.

    अब परदे पर अभिनेत्रियां अबला नारी बनकर आंसू बहाने और रोमांस करने भर से संतुष्ट नहीं हैं. अभिनेत्रियां अब कहानी में अपने वजूद के मायने तलाशना चाहती हैं.

    'हिंदू भी फ़र्स्ट क्लास पाकिस्तानी नागरिक बने!'

    करण तुम अपनी बेटी को हर कार्ड देना: कंगना

    अब उन्हें केवल छुईमुई बने रहने से सख्त ऐतराज होने लगा है.

    बॉक्स ऑफिस

    कंगना रनौत, अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा और सोनाक्षी सिन्हा जैसी अभिनेत्रियों ने साबित किया कि भले ही बॉलीवुड अपने बनाए दायरे से निकलने में संकोच करता हो, लेकिन उन्हें जब भी मौक़ा मिलता है वो फ़िल्मों को अकेले अपने कंधे पर ढोने का माद्दा रखती हैं.

    'रंगून', 'अकीरा', 'एनएच 10' और 'कहानी' जैसी फ़िल्में बॉलीवुड में एक बड़े बदलाव का संकेत जरूर देती हैं, लेकिन बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों को देखकर तो ऐसा लगता है कि दिल्ली अभी दूर है.

    'इंडस्ट्री में हर किसी को खुश रखना मुश्किल'

    इंटरनेट पर ट्रोल करने वाले हैं बुजदिल-अनुष्का

    फ़िल्में स्वान्तः सुखाय का सौदा नहीं हैं. हक़ीकत यही है बॉलीवुड में महिला प्रधान फ़िल्में बनाना आसान नहीं है.

    महिला प्रधान सिनेमा

    महिला प्रधान फ़िल्मों की सफलता की संभावना भी 50-50 ही रहती है.

    'क्वीन', 'रिवॉलर रानी' जैसी महिला प्रधान फ़िल्मों से सफलता का स्वाद चखने वाली कंगना रनौत का कहना है, "ये एक परसेप्शन है कि दर्शक महिला प्रधान फ़िल्में नहीं देखना चाहते."

    क्या वक्षस्थल दिखाना नारी विरोधी है?

    कंगना के पीड़ित कार्ड से थक चुका हूं: करण

    अगर दर्शक देखते नहीं तो ऐसी फ़िल्में बनती कैसे हैं? बॉलीवुड में भला कौन पैसे डुबाने के लिए फ़िल्में बनाता है?

    फ़िल्मकार की चुनौती

    कंगना पूछती हैं, "क्या 'क्वीन', 'तनु वेड्स मनु', 'मर्दानी' और 'पिंक' जैसी फ़िल्में नहीं चलीं?"

    लेकिन कंगना की हाल ही में रिलीज फ़िल्म 'रंगून' बहुत नहीं चल पाई.

    एक करोड़ कमाने वाली पहली भारतीय फ़िल्म

    'बेटी फ़िल्मों में आती तो उसकी टांग तोड़ देता'

    हालात जो भी हों लेकिन अनुराग कश्यप, दिबाकर बनर्जी, अब्बास मस्तान जैसे फ़िल्मकार इस चुनौती से दो-दो हाथ करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.

    कड़वे अनुभव

    आगामी दिनों में फ़िल्म 'नाम शबाना' में तापसी पन्नू, 'राब्ता' में कीर्ति शेनन और 'एक था टाइगर' में कैटरीना कैफ़ जैसी अभिनेत्रियां दिखेंगी.

    आख़िर क्या वज़ह है कि कड़वे अनुभवों के बावजूद फ़िल्मकारों के हौसलों पर ज़्यादा फर्क पड़ता दिखाई नहीं देता.

    'मेरी मां ने ज़्यादा संघर्ष किया'

    दो बच्चों के पिता बने बैचलर करण जौहर

    इन दिनों फिल्म 'मशीन' के प्रमोशन में जुटे निर्देशक अब्बास मस्तान की अगली फ़िल्म भी इसी विषय पर है.

    उनका कहना है कि, "फ़िल्में अगर अच्छी हो तो दर्शकों को इससे फर्क नहीं पड़ता कि फ़िल्म महिला प्रधान है या पुरुष प्रधान. कुछ अलग करने के चक्कर में लोग फ़िल्मों को इतना अवास्तविक बना देते हैं कि दर्शक उन्हें हज़म नहीं कर पाता. ये जमाना किस्से-कहानियों और फतांसियों का नहीं है. रील में भी कहानी और क़िरदार रीयल होने चाहिए, तभी बात बनेगी."

    अमिताभ ने क्यों किया ये ऐलान

    लंदन- न्यूयॉर्क नहीं, बेगूसराय- बनारस की धूम

    'गंगाजल-2' प्रकाश झा के लिए अच्छा अनुभव नहीं रहा. फ़िल्म में सारा बोझ प्रियंका चोपड़ा के कंधों पर था. क्या यही फ़िल्म का माइनस पॉइंट साबित हुआ?

    दमदार मौजूदगी

    हालाँकि प्रकाश झा का कहना है कि हालात जल्द बदलेंगे.

    इसके संकेत भी हैं. पुरुष प्रधान फ़िल्मों के बीच पिछले कुछ सालों में कई अभिनेत्रियों ने परदे पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है.

    सुबह ट्विटर पर गालियां सुनकर उठती हूं: स्वरा भास्कर

    'मंत्रीजी का दिमाग़ कौन गंदा कर रहा है, पता है'

    अनुष्का शर्मा, कंगना रनौत, रानी मुखर्जी और सयानी गुप्ता जैसी अभिनेत्रियों ने अपने क़िरदारों से दर्शकों के एक बड़े वर्ग को आकर्षित भी किया है.

    दर्शकों ने इस मुद्दे पर अपनी रजामंदी दे दी है. ये फ़िल्मकारों को तय करना है कि महिलाओं की इस बदलती भूमिका को वो फ़िल्मों में किस तरह पेश कर पाते हैं.

    (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

    BBC Hindi
    English summary
    Now a days actresses wants to do more female centric movies.
    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X