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    हवाईजादा कहानी

    ‘हवाईजादा’ का पहले नाम बम्बई फेयरटेल रखा गया था। यह फिल्म वैज्ञानिक शिवकर बापूजी तलपड़े के जीवन पर आधारित है जिन्हें भारत का पहला मानव रहित विमान बनाने का श्रेय जाता है। फिल्म 1895 के बंबई पर आधारित है।

    कहानी विस्तार से-

    1890-ब्रिटिश राज के शासन में भारत
     
    एक ही कक्षा में आठ बार दोहराए जाने के बाद, शिवी को उसके स्कूल से निकाल दिया जाता है। वह अपनी नई आजादी का आनंद ले ही रहा होता है कि अचानक वह सितारा नाम की लड़की के चक्कर में पड़ जाता है। कामुकता से युक्त सितारा एक स्थानीय लड़की है। शिवी के बागी और लापरवाह तरीके से तंग आ चुके उसके पिता उसे घर से बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। यह हकीकत सितारा को भयभीत करती है।


    इस डर से कि उसकी वजह से शिवी को शर्म और अपमानित होना पड़ रहा है, वह शहर छोड़ के जाने का निर्णय ले लेती है।


    उदास और व्याकुल शिवी की जिंदगी पाप और अययशी के रास्ते पर जाने लगती है।


    शास्त्री, जो कि एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक और वेदिक विद्ववान है, का शिवी के जीवन में प्रवेश होता है। वह शिवी को प्रेरणा देता है कि वो अपने ऊपर काबू रखे और शिवी को बताता है कि कैसे उसका असंभव सी चीज को करने का सपना है और दुनिया का पहला विमान बनाना है।


    एक असफल प्रेमी, एक बूढ़े आदमी का सपना और एक असंभव सा यंत्र।
    क्या शिवी कभी अपने गुरू के सपने पर खरा उतरने में सक्षम हो पाएगा? क्या हवाईजादा आसमान को छू पाएगा?

     
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