फिल्म की कहानी
महावीर फोगत, पूर्व, नेशनल लेवेल का पहलवान है जो हमेशा एक बेटे की चाह में जी रहा है। वो बेटा जो उसके लिए गोल्ड मेडल जीत कर ला सके, किसी इंटरनेशल इवेंट में। लेकिन चौथी बार भी उसे लड़की होती है। महावीर फोगच दुखी हो जाता है और अपने गोल्ड मेडल को अलविदा कह देता है। हालांकि लड़कियां और लड़कों का अंतर उसके लिए तब मिटता है जब उसकी दो छोटी छोटी बेटियां गीता (ज़ायरा वसीम) और बबीता(सुहानी भटनागर) पड़ोस के दो बच्चों को बुरी तरह पीट देती हैं। क्योंकि उन दो लड़कों ने लड़कियों पर बुरे कमेंट किए होते हैं। महावीर को तुरंत इस सच का एहसास हो जाता है कि गोल्ड तो गोल्ड ही रहेगा, लड़का जीत के लाए या फिर लड़की। और यहीं से शुरू होती है फिल्म की थीमलाइन - महारी छोरियां छोरों से कम हैं के?
महावीर फोगत, पूर्व, नेशनल लेवेल का पहलवान है जो हमेशा एक बेटे की चाह में जी रहा है। वो बेटा जो उसके लिए गोल्ड मेडल जीत कर ला सके, किसी इंटरनेशल इवेंट में। लेकिन चौथी बार भी उसे लड़की होती है। महावीर फोगच दुखी हो जाता है और अपने गोल्ड मेडल को अलविदा कह देता है। हालांकि लड़कियां और लड़कों का अंतर उसके लिए तब मिटता है जब उसकी दो छोटी छोटी बेटियां गीता (ज़ायरा वसीम) और बबीता(सुहानी भटनागर) पड़ोस के दो बच्चों को बुरी तरह पीट देती हैं। क्योंकि उन दो लड़कों ने लड़कियों पर बुरे कमेंट किए होते हैं। महावीर को तुरंत इस सच का एहसास हो जाता है कि गोल्ड तो गोल्ड ही रहेगा, लड़का जीत के लाए या फिर लड़की। और यहीं से शुरू होती है फिल्म की थीमलाइन - महारी छोरियां छोरों से कम हैं के?