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    चारों निर्देशकों की पहली फिल्म है बॉम्बे टॉकीज: दिबाकर बैनर्जी

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    बॉलीवुड में खोसला का घोसला, ओय लक्की लक्की ओय, लव सेक्स और धोखा और शंघाई जैसी फिल्मों से अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले निर्देशक दिबाकर बैनर्जी का कहना है कि वो अपनी हर एक फिल्म के रिलीज होने के बाद उस फिल्म से बोर हो जाते हैं और कुछ नया करने की कोशिश करने में लग जाते हैं। दिबाकर बैनर्जी की फिल्म बॉम्बे टॉकीज इस हफ्ते 3 मई को रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में पहली बार बॉलीवुड के चार बड़े निर्देशकों जोया अख्तर, करन जौहर और अऩुराग कश्यप ने मिलकर काम किया है। बॉम्बे टॉकीज फिल्म इंडियन सिनेमा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाई गयी है। दिबाकर बैनर्जी के साथ वनइंडिया रिपोर्टर सोनिका मिश्रा की एक्सक्लुसिव बातचीत के कुछ अंशः

    बॉम्बे टॉकीज फिल्म के ट्रेलर लॉंच पर कहा गया कि चारों कहानियां निर्देशकों के दिल से निकली हैं। फिल्म में आपकी कहानी एक फेल एक्टर की है तो ये कहानी आपके दिल में कैसे आई?

    हंसते हुए क्या आप ये कहना चाहती हैं कि मैं एक फेल एक्टर हूं? मैं कभी एक्टर नहीं बनना चाहता था। ये कहानी एक फेल एक्टर के बारे में है लेकिन वो किसी फिल्म का कलाकार नहीं है। वो हम सभी के अंदर एक एक्टर छुपा हुआ है एक राइटर छुपा हुआ है एक सिंगर छुपा हुआ है। हर एक एक इँसान के दिल में छोटा या बड़ा एक फेलियर है कि मैं जो चाहता था वो क्यों नहीं बना पाया। ये फेल एक्टर किसी फिल्म का एक्टर नहीं है बल्कि एक ऐसा इँसान है जिसे मन ही मन लगता है कि वो बहुत बडा़ एक्टर है और एक दिन उसको चांस मिलता है कि वो एक्ट करे। हममे से हर कोई बहाना बनाता है कि हमें चांस नहीं मिलता। लेकिन जब हमें चांस मिलता है तो हम भाग जाते हैं।वो क्या करता है। और उसके सफलता जो मिलती है वो कैसे मिलती है। ये फिल्म फेलियर, सक्सेस के बारे में है।

    नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अलावा आपने किसी और एक्टर को बॉम्बे टॉकीज के लिए अप्रोच किया था?

    मैंने नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अलावा किसी और एक्टर के बारे में नहीं सोचा। मैं ब्लैक फ्राइडे के बाद उनके साथ काम करने की कोशिश कर रहा हूं। मैंने उन्हें ओय लक्की ओय में भी कास्ट करने की कोशिश की थी लेकिन मैं चाहता था कि वो मनुऋिषी का रोल करें।लेकिन वो मिले नहीं। लेकिन मैं नवाज के साथ पिछले सात सालों से काम करने की कोशिश कर रहा था इसलिए जब मेरे हाथों में ये फिल्म आई तो मैंने कहा कि मैं नवाज के साथ ही काम करुंगा लेकिन मैने उन्हें बताया कि ये मेन रोल है और उन्हें मराठी बोलना है और आपको ऐसा किसी ने अभी तक नहीं देखा। मेरी खुशकिस्मती थी कि नवाजुद्दीन मान गये और हमने मिलकर काम किया।

    पहली बार ऐसा हो रहा है कि चार निर्देशक एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। क्या कभी फिल्म एकसाथ करते समय एक दूसरे के साथ कॉर्पोरेशन करने में किसी तरह की कोई मुश्किल आई?

    सबसे बड़ी बात ये है कि हम चारों निर्देशकों को एक साथ काम हमने एक दूसरे के साथ बैठकर गप्पे मारी, एक दूसरे की फिल्मों के बारे में गॉसिप की टांग खींची। हमने अपनी-अपनी फिल्म बनाई और हम चारों एक दूसरे के गले मिले। हमें जैसे किसी ने गिफ्ट दिया हो।

    बॉम्बे टॉकीज फिल्म या जोया, करन, अऩुराग से जुड़ी कोई याद जो आप शेयर करना चाहें?

    मुझे सबसे ज्यादा वो पल याद है जब करन, मैं जोया और अनुराग आपस में मिलकर मजाक करते थे और मैंने देखा कि हम सब अपनी-अपनी लाइन में सफल हैं लेकिन हम अभी भी हम चारों के अंदर वही एक क्रिएटिव और सेंसिटिव आदमी बैठा हुआ है बहुत कुछ करना चाहता है। उससे बात करके लगता है कि ये कोई सफल निर्देशक नहीं है बल्कि कोई नया निर्देशक है। ये बात मुझे आज भी याद है। मैने जब करन जौहर की फिल्म देखी तो मैंने करन को कहा कि करन ये तो शुरुआत है। इससे इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को एक नया निर्देशक मिला है जिसका नाम करन जोहर है। तो हर एक ने इस फिल्म में इस तरह काम किया है जैसे ये उसकी पहली फिल्म हो।

    बॉम्बे टॉकीज फिल्म में आमिर खान को ओल्ड एक्टर का गेटअप दिया गया है। इसकी वजह?

    ताकि आप लोगों को याद आए कि हमारा जो ओल्ड सिनेमा है वो कितना रिच है और उसके साथ हम आज भी जुड़ सकते हैं।

    आजकल 100 क्लब को ही फिल्मों की सफलता का पैमाना माना जाता है? इस बारे में आप क्या कहेंगे?

    जमाने के साथ सबकुछ बदलता है। जमाने के साथ सफलता की परिभाषा भी बदलेगी। अब वो जमाना नहीं रहा जब इतनी कम फिल्में थीं कि एक फिल्म को चार हफ्ते, पांच हफ्ते, दस हफ्ते सिनेमाहॉल में देख सकते थे। आज इतनी सारी फिल्में बन रही हैं और इतने सारे सिनेमाहॉल उनकी तादाद में इतने कम हैं कि फिल्म एक हफ्ते या दो हफ्ते के बाद निकल जाती है और इस तीन चार हफ्ते में फिल्म 100 करोड़ कमाती है। तो किसी को क्या परेशानी है। क्योंकि ज्यादा फिल्में दिख रही हैं। ये हमारा जमाना है और कल ये जमाना फिर से बदलेगा।

    English summary
    Bombay Talkies movie is a debut movie of all four directors says Dibakar Banerjee. Dibakar Banerjee said that he gets bore with things easily. Dibakar Banerjee also said that he shows what he feels through his films.
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