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Release Rewind: रोमियो जूलियट की 'किस' कहानी, राम लीला
[Trisha
Gaur]
संजय
लीला
भंसाली
एक
बेहतरीन
निर्देशक
हैं
इसमें
कोई
दो
राय
नहीं
है
लेकिन
हम
दिल
दे
चुके
सनम
बनाने
के
बाद
वो
इसके
प्यार
से
वापस
बाहर
आ
ही
नहीं
पाए।
दूसरी
बात
ये
कि
उन्होंने
जब
से
काल्पनिक
फिल्में
बनाने
की
सोची
है
तबसे
कल्पना
भी
डर
गई
है
कि
संजय
क्या
सोच
लें।
15
नवंबर
2013
में
रिलीज़
राम
लीला
भी
संजय
लीला
की
ऐसी
ही
कल्पना
का
ओवरडोज़
था।
फिल्म ने हालांकि करोड़ों कमाए पर ये हम भी जानते हैं और आप भी कि फिल्म केवल राम - लीला मतलब रणवीर और दीपिका के नाम पर चली वर्ना तो सांवरिया याद कर लीजिए....उसके बाद ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आप भी पढ़िए राम लीला की बेहद अजीब बातें -
अच्छे
आदमी
की
डेफिनीशन
फिल्म
में
रणवीर
एक
अच्छे
इंसान
थे।
भले
ही
वो
चरस,
ड्रग्स,
गांजा
का
धंधा
करते
हों,
भले
ही
वो
गोलियों
को
कंचे
की
तरह
खेलते
हो,
भले
ही
वो
ततड़
ततड़
करते
हुए
लड़कियों
के
साथ
रास
रचाते
हों,
भले
ही
वो
किसी
लड़की
के
कमरे
में
आधी
रात
में
घुस
जाते
हों
लेकिन
कहानी
तो
गोलियों
की
रास
लीला
है...और
रणवीर
ने
कोई
मर्डर
किया
ही
नहीं।
हुआ
न
भला
मानुस।
एक
किलो
आलू
देना
और
आधा
किलो
गोली
कहा
न,
संजय
अपनी
सोच
और
कल्पना
को
बिल्कुल
अति
पर
पहुंचा
देते
हैं।
अब
रबाड़ी
और
सनेड़ा
की
बरसों
पुरानी
लड़ाई
तक
तो
ठीक
था
पर
सब्जी
मंडी
में
गोली
बंदूक
बेचना
तो
टू
मच
हो
गया।
पहचान कौन
गौर से देखो इस चेहरे को। इस लड़ृके की लाइफ की प्रॉब्लम क्या थी हमें समझ नहीं आया। पहले कहीं देखा है न इसको...हां हेट स्टोरी में पाओली दाम के साथ....एक्सपोज़ करते हुए। वहां भी हकलाता था यहां भी डायलॉग बोलने में कुछ लोचा है।
एक
गोली
की
कीमत...
एक
गोली
की
कीमत
तुम
क्या
जानो
सिनेमा
बाबू,
हर
सनेड़ी
का
अरमान
होता
है
एक
गोली
का
फितूर
और
हर
रबाड़ी
की
जान
होता
है
गोलियों
से
भरी
पिस्टल...जो
भी...IGNORE!
सरकारी
नौकरी
नहीं
लड़के
को
गोलीबारी
आनी
चाहिए
अगर
आप
के
हाथ
में
बंदूक
नहीं
तो
आप
सनेड़ी
मर्द
नहीं...तो
फिर
शादी
का
तो
सवाल
ही
नहीं
उठता।
अब
थी
न
ये
लिमिट
मतलब
iMAGINE
ही
तो
करना
है
कुछ
भी
कर
लो।
और
मोदी
के
sTATE
में
इतनी
हिंसा...HAWWWWW!
पुलिस
वालों
को
घूस
ऐसे
दी
जाती
है
पुलिस
वाले
को
पैसे
की
भूख
नहीं
होती
साहब...उसे
जो
चाहिए
वो
तो
फिल्म
ही
बता
पाई।
मतलब
अगर
पुलिस
वाला
पैसे
की
रिश्वत
नहीं
ले
रहा
तो
उसे
पोर्न
सीडी
और
डीवीडी
देकर
खरीद
लो....निहायत
ही
वाहियात
आइडिया...वैसे
किसी
पुलिस
वाले
ने
ऑब्जेक्शन
क्यों
नहीं
किया।
बात
करने
से
सालों
की
दुश्मनी
नहीं
खत्म
होती....
अब
इतने
भी
बेवकूफ
नहीं
है
हम
बॉस...कि
मतलब
कुछ
भी
दिखाओगे।
दो
गुट
खून
के
प्यासे...बात
करते
हैं
आमने
सामने
बैठ
कर
और
सालों
की
दुश्मनी
खल्लास।
आधा
किलो
चूरन
थोड़ी
बांटना
था....हमें
बेवकूफ
समझने
की
लिमिट
थी
ये
भंसाली
साब....
बिन्नेस सेन्स नाम की भी कोई चीज़ होती है
देखो ये लड़का फिर आया। इसके जीवन की हर प्रॉब्लम समझ आ गई हमें। हर फिल्म में इस लड़के का बना बनाया बिज़नेस कोई न कोई खाने आ जाता है। ये तो इस बेचारे के साथ चीटिंग है।
बाल्कनी
रोमांस
के
लिए
सेफ
नहीं
होती
कौन
करता
है
ऐसे।
मतलब
बाल्कनी
पर
खड़े
होकर
किसिंग
सीन.....एक
बार
नहीं
दो
बार
नहीं....हमेशा।
ये
भी
टू
मच....मरते
दम
तक
हम
किस
करना
नहीं
छोड़ेंगे....EEEEEWWWWWW!
लाइफ
में
टेंशन
आता
जाता
रहेगा....हनीमून
तो
बनता
है
लाइफ
है
तो
मुश्किलें
भी
होंगी...इसके
लिए
अपना
हनीमून
कौन
खराब
करेगा
बॉस...जितना
टाइम
यहां
वेस्ट
किया
उतना
भागने
में
कर
लेते
तो
पकड़े
नहीं
जाते
और
एंड
में
मरना
भी
नहीं
पड़ता...जान
का
भरोसा
नहीं
है
पर
नॉटी
होना
याद
है...
लव
की
डेफिनीशन
जी
नहीं
वो
कुछ
होता
है
वाला
राहुल...फिर
बेवकूफ
बना
गया..प्यार
दोस्ती
है..वो
तो
इन
दोनों
ने
करेक्ट
किया
कि
प्यार
बेशर्मी
और
खुदगर्ज़ी
है।
पढ़िए:रणवीर की लीला बनने के लिए दीपिका को किल कर सकती हैं परिणीति!