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    स्वानंद किरकिरे जीवनी

    स्वानंद किरकिरे एक भारतीय पार्श्व गायक,सहायक निर्देशक, संवाद लेखक हैं।  वह दोनो बॉलीवुड और टीवी की दुनिया में सक्रीय हैं। दो बार नैशनल अवार्ड जीत चुके स्वानंद किरकिरे बेहद ही शालीन व्यक्तिव वाले व्यक्ति हैं।  

    पृष्ठ भूमि
    स्वानंद किरकिरे का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर में मराठी परिवार में हुआ था। स्वानंद के पिता चिंतामणि किरकिरे और माँ नीलांबरी किरकिरे दोनों ही शास्त्रीय गायक हैं।  स्वानंद किरकिरे ने संगीत की कभी कोई शिक्षा नहीं ली।  बस अपने माता-पिता को शास्त्रीय संगीत गाते देख उन्होंने उनसे प्रेरणा ली। 

    पढ़ाई
    स्वानंद ने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई इंदौर से पूरी की।  उसके बाद वह आगे की पढ़ी के लिए दिल्ली चले गए।  यंहा उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बाद में थिएटर को जुड़ गए। 

    करियर
    जिन दिनों स्वानंद दिल्ली में थिएटर कर रहे थे, उसी दौरान उन्होंने सरदार भगत सिंह पर एक नाटक लिखा।  उन्हें पता चला कि, एक टीवी निर्माता स्वराज पर नाटक बनाना चाहते है जोकि भगत सिंह पर ही आधारित था, तो स्वानंद बिना कुछ समझे चल पड़े उनसे मिलने । बस यही से शुरू हुआ उनका बॉलीवुड करियर। 

    इस नाटक के खत्म होने के बाद स्वानंद की मुलाक़ात पंकज पराशर से हुई, उन्ही के जरिये स्वानंद की भेट सुधीर मिश्रा से।  उसके बाद स्वानंद ने सुधीर की कलकत्ता मेल,चमेली, हज़ारों ख्वाइशें ऐसी फिल्मों में बतौर सहायक निर्देशक काम किया। स्वानंद अपने थिएटर के दिनों में नाटक व गानों को लिखने का शौक रखते थे।  उन्ही दिनों में उन्होंने एक गाना लिखा था,बावरा मन एक सपना।  जब स्वानंद इस गाने को गुनगुना रहे थे, तभी सुधीर ने इसे सुना, और निश्चय किया वह अपनी आगामी फिल्म में इस गाने को डालेंगे। इस गाने को स्वानंद की ही आवाज में शांतनु मोहित्रा ने रिकॉर्ड किया।  गाना सुपर हिट हुआ, हालंकि फिल्म की किन्ही कारणों से तय-सुदा तारीख पर रिलीज़ नहीं हो सकी।

    स्वानंद किरकिरे को फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई और 3 ईडियट्स के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजा जा चूका है। 
     
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